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जीवन क्या है ?

जीवन क्या है ? एक मेला है।
दुःख -सुख का एक रेला है ।

दुःख सागर , सुख सपना है।
दुःख - सागर के तुम बनना तुम सफल गोताखोर .

डूब गए तो न नयन भिगोना,
भीग गये तो न करना मलाल।

मोका मिल है ,मोती चुराना सागर के।
फिर बढाना हाथ अपना .

सर्वप्रथम जो थामेगा हाथ तुम्हारा ,
समझना वही है हकदार , मोती की गागर के...

जीवन क्या है? एक मेला है।
दुःख-सुख का एक रेला है।

सुख सपना जब होगा साकार ,
किसी चीज का ना होगा आकार ।

सपने को न तुम सच समझ लेना
भीड़ से दबे -सबको न अपना समझ लेना।

सपना बड़ा सुहाता है ,
झूम -झूमकर लुभाता है।

सपने तो पर सपने है ,
ये कभी ना अपने है।

सपने में सब लगते है अपने ,
धूप भी कोमल लगती है ।

पतझड़ भी सावन लगता है,
नींद गहरी और गहरी हुई जाती है।

नींद से जागोगे ,तो जानोगे तुम ,
ये तो थे सिर्फ सपने ,मीठे सपने........

- पूनम अग्रवाल

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