ना छेड़ो मेरे गम को इस तरह , एक चिंगारी अभी बाक़ी है। जख्म तो भर गया है मगर, ये दाग अभी बाक़ी है। फूलों का काँटों से वास्ता इतना, जब तक ये पराग अभी बाक़ी है न कर गम ए दोस्त!बहारों का, जख्म पुराने है दर्द अभी बाक़ी है। ज़िन्दगी का जाम तड़क कर टूट गया, मौत की हंसी अभी बाक़ी है। ए दोस्त !दामन भरा रहे तेरा फूले से, यही दुआ अकेली अभी बाकी है........ पूनम अग्रवाल.......
छोड़ देते हैं मस्तियों को, नादानियों को नहीं देखते उन सपनों को जो सूरज और चांद को छूने का दिलासा दिलाते हैं दबा ...