क्यूँ ढूंढ़ता उस ख्वाब को,के कौन जाने किधर गया, जो साथ है उसे पास रख जो गुज़र गया सो गुज़र गया, अपना समझ जिसे खुश हुआ अहसास समझ कर भूल जा, बस नशा था थोडा प्यार का सुबह हुई तो उतर गया, ... उस शख्स का भी क्या कसूर था जो पास होकर भी दूर था, ये तो ज़माने का दस्तूर है वो भी जमाने संग बदल गया, ना रखना दिल मे यादों को आँखों को ना रोने देना, झोंका था एक हवा का,आया और छु के निकल गया.... - Abhishek Bajaj
छोड़ देते हैं मस्तियों को, नादानियों को नहीं देखते उन सपनों को जो सूरज और चांद को छूने का दिलासा दिलाते हैं दबा ...