वो बचपन की यादें आज भी तन्हाई मे खोजता हूँ मै
गुम हो जाता हूँ खुद मे जब उसके बारे मे सोचता हूँ मै
नए साल पे दोस्तों के साथ क्या पिकनिक खूब मनाई थी
छोटे परदे पे बड़ी फ़िल्मी देख के जलेबियाँ खूब खाई थी
क्रिकेट खेलने की तो हर पल होती हमारी तैयारी थी
कितने डंडे खाए पापा चाचा से उफ़ फिर भी क्या बेकरारी थी
दोस्तों की मण्डली निकलती थी साथ साथ हर होली मे
सुबह पिचकारियों मे रंग होता शाम गुलाल भरा होता झोली मे
दशहरे की तो बात जुदा थी वो मेला कितना प्यारा था
मंदिर के पीछे चोर सिपाही,लुका-छुपी उफ़ वो वक़्त हमारा था
दीवाली के पटाखे देखकर खुशियों मे पर लग जाते थे
कर के परेशान मोहल्ले मे सबको यंहा वंहा पटाखे बहुत जलाते थे
बीता बचपन गुज़रा जमाना अब यादों में खुश हो लेने दो
न जाने क्यूँ दिल है मेरा जी भर के आज मुझे रो लेने दो...
गुम हो जाता हूँ खुद मे जब उसके बारे मे सोचता हूँ मै
नए साल पे दोस्तों के साथ क्या पिकनिक खूब मनाई थी
छोटे परदे पे बड़ी फ़िल्मी देख के जलेबियाँ खूब खाई थी
क्रिकेट खेलने की तो हर पल होती हमारी तैयारी थी
कितने डंडे खाए पापा चाचा से उफ़ फिर भी क्या बेकरारी थी
दोस्तों की मण्डली निकलती थी साथ साथ हर होली मे
सुबह पिचकारियों मे रंग होता शाम गुलाल भरा होता झोली मे
दशहरे की तो बात जुदा थी वो मेला कितना प्यारा था
मंदिर के पीछे चोर सिपाही,लुका-छुपी उफ़ वो वक़्त हमारा था
दीवाली के पटाखे देखकर खुशियों मे पर लग जाते थे
कर के परेशान मोहल्ले मे सबको यंहा वंहा पटाखे बहुत जलाते थे
बीता बचपन गुज़रा जमाना अब यादों में खुश हो लेने दो
न जाने क्यूँ दिल है मेरा जी भर के आज मुझे रो लेने दो...
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