नजरों से नजरे मिली है ऐसे,
नवदीप जले हो चमन में जैसे।
मन में हलचल मची है ऐसे,
सागरमें मंथन हो जैसे।
अधरों से अधर मिले है ऐसे,
गीतों से सुर मिले हों जैसे।
नवदीप जले हो चमन में जैसे।
मन में हलचल मची है ऐसे,
सागरमें मंथन हो जैसे।
अधरों से अधर मिले है ऐसे,
गीतों से सुर मिले हों जैसे।
माथे पर बुँदे छलके है ऐसे ,
जलनिधि से मोत्ती हों जैसे।
आलिंगन में बंधे है ऐसे,
कमल में भ्रमर बंद हो जैसे।
मदहोशी है नयन में ऐसे,
बात खास कुछ पवन मैं जैसे।
बाँहों के घेरे है ऐसे,
पंख पसारे हों नभ ने जैसे।
शब्द मूक कुछ हुऐ है ऐसे,
दिल में घडकन बजी हो जैसे।
प्रेम-रस यूँ छलके है ऐसे,
समुद्र -मंथन में अमृत हो जैसे।
दो प्रेमी मिलते है ऐसे,
तान छिडी हो गगन में जैसे ।
पूनम अग्रवाल .....
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