स्वप्न यहाँ पलकों पर ,
सजा करते है।
साकार हो जाता है ,
जब स्वप्न कोई।
दिन बदल जाते है,
रातें बदल जाती है।
बिखर जाता है,
जब स्वप्न कोई ।
तब भी----
दिन बदल जाते है,
रातें बदल जाती है।
अश्क उभर आते है,
दोनों ही सूरतों में।
फर्क बस है इतना-
कभी ये सुख के होते है ।
कभी ये दुःख के होते है।
स्वप्न यहाँ पलकों पर,
सजा करते है .....
पूनम अग्रवाल ....
सजा करते है।
साकार हो जाता है ,
जब स्वप्न कोई।
दिन बदल जाते है,
रातें बदल जाती है।
बिखर जाता है,
जब स्वप्न कोई ।
तब भी----
दिन बदल जाते है,
रातें बदल जाती है।
अश्क उभर आते है,
दोनों ही सूरतों में।
फर्क बस है इतना-
कभी ये सुख के होते है ।
कभी ये दुःख के होते है।
स्वप्न यहाँ पलकों पर,
सजा करते है .....
पूनम अग्रवाल ....
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