केवल राजनीति को गाली देना भी बेईमानी था ....
स्वाभिमानी जो होना था वो तेवर भी अभिमानी था ....
देश की संसद में भी यारो हर कोई गद्दार नहीं ...
और अन्ना के संग में बैठा हर कोई खुद्दार नहीं
टीम अन्ना का अंतर्मन भी अन्दर-२ हिला हुआ था ...
उनमे से कोई था जो यारो दस जनपथ पर मिला हुआ था ...
मनमोहन से चले थे अन्ना , मोदी जी पर अटक गए ....
उसी समय था मुझे लगा की अन्ना हजारे भटक गए ...
जिसको देखा जिसको पाया तुमने उसको चोर कहा
देश पर जीने मरने वाले को भी आदमखोर कहा ....
मीडिया हो या नेताजी हो चाहे जिसको डांट रहे थे
ईमानदारी प्रमाण पत्र बस केवल तुम्ही बाँट रहे थे
लोकपाल के लिए चले थे , लोकपाल भी भूल गए
काले धन की बात करी , फिर काला धन भी भूल गए
कौन दिशा में चला था रथ ये कौन दिशा में मोड़ लिया ???
खुद ही अनशन पर बैठे और खुद ही अनशन तोड़ लिया !!!!
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