आज ना जाने कितने दिनों के बाद,
उसकी वही पुरानी पर हसीं याद,
मेरे ज़ेहन मे इस तरह समा गयी,
हर एक चेहरे मे वो अपनी तस्वीर बना गयी !
... दिल किया के रो के थोडा गम छुपा लें,
सीने मे लगी आग आंसुओं से बुझा लें,
पर कमबख्त ने आज न दिया मेरा साथ,
दिल मे लगी आग बढ़ती गयी मेरे आंसुओं के साथ !
मेरे आंसुओं पर अब न मेरा जोर था,
उसका हमदर्द हमसफ़र मै नहीं कोई और था,
रात का सन्नाटा चारों ओर था बिखरा हुआ,
पर मेरे दिल मे अब भी एक अजीब शोर था !
ये सोचते सोचते ना जाने कब मै सो गया,
ख़्वाबों मे भी चली आयी वो और मै उसी मे खो गया,
सुबह की धुप से जब खुली आँखें मेरी,
तो लगा यूँ के जैसे अब सवेरा हो गया.
अब सवेरा हो गया.....
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