Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2012

nari

नारी..... ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै हाँ ! नारी हूँ मैं ......... कभी जन्मी कभी अजन्मी हूँ मैं , कभी ख़ुशी कभी मातम हूँ मैं . कभी छाँव कभी धूप हूँ मैं, कभी एक में अनेक रूप हूँ मैं. कभी बेटी बन महकती हूँ मैं, कभी बहन बन चहकती हूँ मैं . कभी साजन की मीत हूँ मैं , कभी मितवा की प्रीत हूँ मैं . कभी ममता की मूरत हूँ मैं , कभी अहिल्या,सीता की सूरत हूँ मैं . कभी मोम सी कोमल पिंघलती हूँ मैं, कभी चट्टान सी अडिग रहती हूँ मैं . कभी अपने ही अश्रु पीती हूँ मैं, कभी स्वरचित दुनिया में जीती हूँ मैं . ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै, हाँ ! नारी हूँ मै ..... पूनम अग्रवाल .....

आज ना जाने कितने दिनों के बाद

आज ना जाने कितने दिनों के बाद, उसकी वही पुरानी पर हसीं याद, मेरे ज़ेहन मे इस तरह समा गयी, हर एक चेहरे मे वो अपनी तस्वीर बना गयी ! ... दिल किया के रो के थोडा गम छुपा लें, सीने मे लगी आग आंसुओं से बुझा लें, पर कमबख्त ने आज न दिया मेरा साथ, दिल मे लगी आग बढ़ती गयी मेरे आंसुओं के साथ ! मेरे आंसुओं पर अब न मेरा जोर था, उसका हमदर्द हमसफ़र मै नहीं कोई और था, रात का सन्नाटा चारों ओर था बिखरा हुआ, पर मेरे दिल मे अब भी एक अजीब शोर था ! ये सोचते सोचते ना जाने कब मै सो गया, ख़्वाबों मे भी चली आयी वो और मै उसी मे खो गया, सुबह की धुप से जब खुली आँखें मेरी, तो लगा यूँ के जैसे अब सवेरा हो गया. अब सवेरा हो गया.....