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Showing posts from November, 2011

New Hindi Poem By Abhishek Bajaj- क्यूँ ढूंढ़ता उस ख्वाब को

क्यूँ ढूंढ़ता उस ख्वाब को,के कौन जाने किधर गया, जो साथ है उसे पास रख जो गुज़र गया सो गुज़र गया, अपना समझ जिसे खुश हुआ अहसास समझ कर भूल जा, बस नशा था थोडा प्यार का सुबह हुई तो उतर गया, ... उस शख्स का भी क्या कसूर था जो पास होकर भी दूर था, ये तो ज़माने का दस्तूर है वो भी जमाने संग बदल गया, ना रखना दिल मे यादों को आँखों को ना रोने देना, झोंका था एक हवा का,आया और छु के निकल गया.... - Abhishek Bajaj

Dr. Kumar Vishwas New Hindi Poem- Kuch Chote Sapnoo ke Badle

कुछ छोटे सपनो के बदले , बड़ी नींद का सौदा करने , निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे ! वही प्यास के अनगढ़ मोती ,वही धूप की सुर्ख कहानी , वही आंख में घुटकर मरती ,आंसू की खुद्दार जवानी , ... हर मोहरे की मूक विवशता ,चौसर के खाने क्या जाने हार जीत तय करती है वे , आज कौन से घर ठहरेंगे....! निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे ! कुछ पलकों में बंद चांदनी ,कुछ होठों में कैद तराने , मंजिल के गुमनाम भरोसे ,सपनो के लाचार बहाने , जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे , उन के भी दुर्दम्य इरादे , वीणा के स्वर पर ठहरेंगे . निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे .....!!  - Dr. Kumar Vishwas