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Showing posts from March, 2011

आइना भी तेरे दीदार से इतरा रहा है

आइना भी तेरे दीदार से इतरा रहा है, वो खुद को इस ज़माने मे सबसे हसीं पा रहा है, वो नादान तो इतना भी नहीं समझता , ... तेरा रूप उसे इतना हसीं बना रहा है.... Hindi Poem

क्यूँ ढूंढता उस ख्वाब को के कौन जाने किधर गया

  क्यूँ ढूंढता उस ख्वाब को के कौन जाने किधर गया जो पास है उसे साथ रख जो गुज़र गया सो गुज़र गया अपना समझ जिसे खुश हुआ अहसास समझ कर भूल जा बस नशा था थोड़ा प्यार का सुबह हुई तो उतर गया ... उस शख्स का भी क्या कसूर था जो पास होकर भी दूर था ये तो ज़माने का दस्तूर है वो भी ज़माने संग बदल गया न रखना दिल मे यादों को और ना आँखों को रोने देना झोंका था बस एक हवा का आया और छु के निकल गया