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सरकता रहा चांद चुपके से रात भर


सरकता रहा चांद चुपके से रात भर,

फिजा में खामोशी सी बिखर गई,
गजब सा सुकून चांद देता रहा रात भर।
तार छिड़ भी गए -नग्मे बिखर भी गए,
महकता रहा आंगन चुपके से रात भर।

सरकता रहा चांद चुपके से रात भर.....

बिंदिया चमक भी गयी ,पायल खनक भी गयी,
बिखरता रहा गजरा चुपके से रात भर।
चूड़ी खनक भी गयी ,अरमान मचल भी गए,
लहराता रहा आँचल चुपके से रात भर।

सरकता रहा चांद चुपके से रात भर......

पलके उठ भी गयी,पलके गिर भी गयी ,
बहकता रहा जाम चुपके से रात भर।
दिए जल भी गए ,दिए बुझ भी गए,
सिमटता रहा तिमिर चुपके से रात भर।

सरकता रहा चांद चुपके से रात भर.....


पूनम अग्रवाल ....

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