घुटनों से रेंगते -रेंगते कब पैरो पर खड़ा हुआ, तेरी ममता की छाँव में, जाने कब बड़ा हुआ, कला टीका दूध मलाई, आज भी सब कुछ वैसा ही है, मै ही मै हूँ हर जगह, प्यार ये तेरा किस्सा है, सीधा-साधा, भोला-भाला, मै ही सबसे अच्छा हूँ, कितना भी हो जाऊ बड़ा , "माँ !" मै आज भी तेरा बच्चा हूँ
छोड़ देते हैं मस्तियों को, नादानियों को नहीं देखते उन सपनों को जो सूरज और चांद को छूने का दिलासा दिलाते हैं दबा ...