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Showing posts from October, 2012

एक कविता हर माँ के नाम

घुटनों से रेंगते -रेंगते  कब पैरो पर खड़ा हुआ,  तेरी ममता की छाँव में,  जाने कब बड़ा हुआ,  कला टीका दूध मलाई,  आज भी सब कुछ वैसा ही है,  मै ही मै हूँ हर जगह,  प्यार ये तेरा किस्सा है,  सीधा-साधा, भोला-भाला,  मै ही सबसे अच्छा हूँ,  कितना भी हो जाऊ बड़ा ,  "माँ !" मै आज भी तेरा बच्चा हूँ