.. बित्तू हमेशा कहती रही कभी मेरे लिए भी कुछ लिखिए .... तो आज मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी प्रतिमुर्ती के लिए कुछ लिख रही हूँ.. ... कहते है लोग- बिटिया परछाई है तुम्हारी, मैं कहती हूँ मगर- परछाई तो श्याम होती है। न कोई रंग- बस सिर्फ़ बेरंग । वो तो है मेरा प्रतिबिम्ब - सदा सामने रहता है। वो तो है मेरी प्रतीमुरती - छवी मेरी ही दिखती है । ।
छोड़ देते हैं मस्तियों को, नादानियों को नहीं देखते उन सपनों को जो सूरज और चांद को छूने का दिलासा दिलाते हैं दबा ...