Skip to main content

Posts

Mere nanhe farishte

तुम्हें न देखा न स्पर्श किया, नाही सुना है अब तक  पर  तुम कितने खास बन गए हो , तुम्हारे आने की जब से हुई है दस्तक ! तुम्हारे आने का इन्तजार है अब  तुम्हे पाने को बेकरार है सब  जुड़ गए है तुमसे  अनेको रिश्ते  मेरी दुवाये तुमको मेरे नन्हे फ़रिश्ते! तुम कभी हिचकी कभी किकिंग से  कराते हो अहसास अपना  तभी तुम लगते हो हकीकत , नहीं हो कोई सपना !! जब से पता चला है  एक नवजीवन पल रहा है . जुड़ गए है तुमसे मेरे इमोशंस  तुमने करा दिया है मेरा भी प्रमोशन !! पूनम अग्रवाल ......

एक कविता हर माँ के नाम

घुटनों से रेंगते -रेंगते  कब पैरो पर खड़ा हुआ,  तेरी ममता की छाँव में,  जाने कब बड़ा हुआ,  कला टीका दूध मलाई,  आज भी सब कुछ वैसा ही है,  मै ही मै हूँ हर जगह,  प्यार ये तेरा किस्सा है,  सीधा-साधा, भोला-भाला,  मै ही सबसे अच्छा हूँ,  कितना भी हो जाऊ बड़ा ,  "माँ !" मै आज भी तेरा बच्चा हूँ

हर खुशी है लोगों के दामन में

हर खुशी है लोगों के दामन में , पर एक हंसी के लिए वक़्त नहीं . दिन रात दौड़ती दुनिया में , ज़िन्दगी के लिए ही वक़्त नहीं . माँ की लोरी का एहसास तो है , पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं . सारे रिश्तों को तो हम मार चुके , अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं . सारे नाम मोबाइल में हैं , पर दोस्ती के लए वक़्त नहीं . गैरों की क्या बात करें , जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं . आँखों में है नींद बड़ी , पर सोने का वक़्त नहीं . दिल है घमों से भरा हुआ , पर रोने का भी वक़्त नहीं . पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े , की थकने का भी वक़्त नहीं . पराये एहसासों की क्या कद्र करें , जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नहीं . तू ही बता इ ज़िन्दगी , इस ज़िन्दगी का क्या होगा , की हर पल मरने वालों को , जीने के लिए भी वक़्त नहीं ………

केवल राजनीति को गाली देना भी बेईमानी था

केवल राजनीति को गाली देना भी बेईमानी था .... स्वाभिमानी जो होना था वो तेवर भी अभिमानी था .... देश की संसद में भी यारो हर कोई गद्दार नहीं ... और अन्ना के संग में बैठा हर कोई खुद्दार नहीं टीम अन्ना का अंतर्मन भी अन्दर-२ हिला हुआ था ... उनमे से कोई था जो यारो दस जनपथ पर मिला हुआ था ... मनमोहन से चले थे अन्ना , मोदी जी पर अटक गए .... उसी समय था मुझे लगा की अन्ना हजारे भटक गए ... जिसको देखा जिसको पाया तुमने उसको चोर कहा देश पर जीने मरने वाले को भी आदमखोर कहा .... मीडिया हो या नेताजी हो चाहे जिसको डांट रहे थे ईमानदारी प्रमाण पत्र बस केवल तुम्ही बाँट रहे थे लोकपाल के लिए चले थे , लोकपाल भी भूल गए काले धन की बात करी , फिर काला धन भी भूल गए कौन दिशा में चला था रथ ये कौन दिशा में मोड़ लिया ??? खुद ही अनशन पर बैठे और खुद ही अनशन तोड़ लिया !!!!

jeevan path

जीवन पथ हम बढ़ जाते है आगे , इस जीवन पथ पर . छूट जाता है , बहुत कुछ पीछे . कुछ खट्टी कुछ मीठी , यादें साथ चलती है . सोचती हूँ कई बार - काश! हम लौट पाते, उन पलों में वापिस, किसी खटास को , मिठास में बदल पाते. उन पलों को वैसा ही जी पाते दोबारा , जैसा आज चाहते है . पर ऐसा हो नहीं सकता. तब - कर लेते है हम समझौता , अपने वर्तमान से , अपनी परिस्थिति से . यही जीवन है और यही सच भी ..... पूनम अग्रवाल ....

nari

नारी..... ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै हाँ ! नारी हूँ मैं ......... कभी जन्मी कभी अजन्मी हूँ मैं , कभी ख़ुशी कभी मातम हूँ मैं . कभी छाँव कभी धूप हूँ मैं, कभी एक में अनेक रूप हूँ मैं. कभी बेटी बन महकती हूँ मैं, कभी बहन बन चहकती हूँ मैं . कभी साजन की मीत हूँ मैं , कभी मितवा की प्रीत हूँ मैं . कभी ममता की मूरत हूँ मैं , कभी अहिल्या,सीता की सूरत हूँ मैं . कभी मोम सी कोमल पिंघलती हूँ मैं, कभी चट्टान सी अडिग रहती हूँ मैं . कभी अपने ही अश्रु पीती हूँ मैं, कभी स्वरचित दुनिया में जीती हूँ मैं . ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै, हाँ ! नारी हूँ मै ..... पूनम अग्रवाल .....

आज ना जाने कितने दिनों के बाद

आज ना जाने कितने दिनों के बाद, उसकी वही पुरानी पर हसीं याद, मेरे ज़ेहन मे इस तरह समा गयी, हर एक चेहरे मे वो अपनी तस्वीर बना गयी ! ... दिल किया के रो के थोडा गम छुपा लें, सीने मे लगी आग आंसुओं से बुझा लें, पर कमबख्त ने आज न दिया मेरा साथ, दिल मे लगी आग बढ़ती गयी मेरे आंसुओं के साथ ! मेरे आंसुओं पर अब न मेरा जोर था, उसका हमदर्द हमसफ़र मै नहीं कोई और था, रात का सन्नाटा चारों ओर था बिखरा हुआ, पर मेरे दिल मे अब भी एक अजीब शोर था ! ये सोचते सोचते ना जाने कब मै सो गया, ख़्वाबों मे भी चली आयी वो और मै उसी मे खो गया, सुबह की धुप से जब खुली आँखें मेरी, तो लगा यूँ के जैसे अब सवेरा हो गया. अब सवेरा हो गया.....